रंगभूमि

Rangbhoomi - Munshi Premchand

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यह उपन्यास अंधे सूरदास के अपने पैतृक भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष का एक गंभीर लेखा-जोखा है। औद्योगीकरण, रियासतों द्वारा किए गए अत्याचार, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका, और जाति और वर्ग पदानुक्रम जैसे विषयों को एक साथ बुनते हुए, खेल के मैदान की चिंताएँ चौंकाने वाली प्रासंगिक हैं।

'रंगभूमि' को प्रेमचंद ने अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति माना था। 'रंगभूमि' को हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद, द्वारा 10 नवम्बर, 1927 में पुरस्कृत किया गया । यह संग्रहणीय पुस्तक सभी अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है।

उल्लेखनीय है कि 'रंगभूमि' (उर्दू नाम चौगाने - हस्ती) लिखा पहले उर्दू में गया परन्तु प्रकाशित हुआ हिन्दी में ।

"रंगभूमि एक क़ौम, एक मुल्क की बहबूदी (उन्नति) और बेहतरी की राह में एक कोशिश है जो एक तबके की इस्लाह (सुधार) से ज़्यादा मुफ़ीद (फ़ायदेमन्द), ज़्यादा बुलंद एक चीज़ है !" - रफी अहमद किदवई अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी

Author

प्रेमचन्द (1880-1936) की गिनती हिन्दी साहित्य के महान् और लोकप्रिय लेखकों में की जाती है । उनका जन्म बनारस (वाराणसी) के पास लम्ही गांव में हुआ और प्रारम्भिक शिक्षा वहीं एक मदरसे में प्राप्त की ।

हिन्दी और उर्दू साहित्य में प्रेमचन्द को आज एक पथ-प्रदर्शक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज की कुरीतियों एवं विषमताओं पर गहरा प्रहार किया और साथ ही इन्हीं ज्वलंत समस्याओं को लेकर प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय भी दिया। उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है।

Book Details

ISBN: 9788122205329 | Format: Paperback, eBook | Language: Hindi | Extent:  352 pp