सती

Sati - Munshi Premchand

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मानव जीवन की यात्रा में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिनसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। प्रेमचंद की कहानी 'सती' भी उसी तरह की कहानी है। यह कहानी एक सैनिक के जीवन से जुड़ी हुई है जो अपने देश के लिए जान देने के लिए सदैव तत्पर रहता है। इस कहानी में उस सैनिक की पत्नी का किरदार होता है, जो अपने पति की मौत के बाद 'सती' होने का निर्णय लेती है।

उसके दो बच्चे होते हैं जिनकी देखभाल के लिए उसे किसी न किसी के साथ शादी करनी पड़ती है। शादी के दिन उसे अपने पति की याद आती है और वह उसे बहुत याद करती है। उसे यह सोचते हुए कि वह फिर से अपने पति के साथ मिल जाएगी, वह अपने बच्चों को अपनी चोटी के ऊपर बांधकर आग के अंगारों में कूद जाती है।

इस कहानी से प्रेमचंद ने सती प्रथा को दोषी बताया है जो महिलाओं को उनके पतियों की मृत्यु के बाद लगातार दुखी रखती है। सैनिक जो अपने देश के लिए जान देते हैं, उनके परिवारों का क्या होगा जब वे नहीं रहेंगे। यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें समाज की सोच बदलनी चाहिए और महिलाओं को आजादी और समानता का मौका देना चाहिए।

Author

प्रेमचन्द (1880-1936) की गिनती हिन्दी साहित्य के महान् और लोकप्रिय लेखकों में की जाती है । उनका जन्म बनारस (वाराणसी) के पास लम्ही गांव में हुआ और प्रारम्भिक शिक्षा वहीं एक मदरसे में प्राप्त की ।

हिन्दी और उर्दू साहित्य में प्रेमचन्द को आज एक पथ-प्रदर्शक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज की कुरीतियों एवं विषमताओं पर गहरा प्रहार किया और साथ ही इन्हीं ज्वलंत समस्याओं को लेकर प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय भी दिया। उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है।

Book Details

Format: eBook | Language: Hindi