सेवासदन

Rangbhoomi - Munshi Premchand

₹ 225

धनपत राय श्रीवास्तव (1880-1936), जो 'प्रेमचन्द' के नाम से प्रसिद्ध हुए, का विश्व के महान् साहित्यकारों की श्रेणी में विशिष्ट स्थान है। 'सेवासदन' उनके सफलतम और लोकप्रिय उपन्यासों में गिना जाता है।

लिखा तो यह उपन्यास पहले उर्दू में ' बाज़ार-ए-हुस्न' (1917) के नाम से गया था, परन्तु पहले प्रकाशित हुआ हिन्दी में' सेवासदन' (1918) के नाम से। भारतीय समाज में महिलाओं के संवेदनशील चित्रण और बीसवीं सदी के प्रारम्भिक दौर में राजनैतिक और सामाजिक पाखंड पर एक साहसिक बयान के कारण इस उपन्यास की आज भी एक असाधारण पहचान है।

अंग्रेज़ी सहित अनेक भाषाओं में 'सेवासदन' का अनुवाद हो चुका है। 1938 में ‘सेवासदनम्' नाम से इसे तमिल में फिल्माया गया जिसकी मुख्य भूमिका में थीं एम. एस. सुब्बालक्ष्मी ।

सम्पूर्ण एवं असंक्षिप्त संस्करण

"एक समग्र दृष्टि, सानुपात भावना का उद्रेक और यथार्थ के साथ आदर्श का मणि-कांचन सहयोग प्रेमचन्द की खूबी थी । भाषा को उन्होंने न कभी चलताऊ होने दिया न पंडिताऊ।" - भवानी प्रसाद मिश्र

"प्रेमचन्द का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास।" - एशियन एज

Author

प्रेमचन्द (1880-1936) की गिनती हिन्दी साहित्य के महान् और लोकप्रिय लेखकों में की जाती है । उनका जन्म बनारस (वाराणसी) के पास लम्ही गांव में हुआ और प्रारम्भिक शिक्षा वहीं एक मदरसे में प्राप्त की ।

हिन्दी और उर्दू साहित्य में प्रेमचन्द को आज एक पथ-प्रदर्शक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज की कुरीतियों एवं विषमताओं पर गहरा प्रहार किया और साथ ही इन्हीं ज्वलंत समस्याओं को लेकर प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय भी दिया। उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है।

Book Details

ISBN: 9788122205053 | Format: Paperback | Language: Hindi | Extent:  280 pp